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हम ढूँढते हैं उसके दिल में
शायद के कहीं जज़्बात मिले
कोई अब्र का टुकड़ा मिल जाए
शायद के कहीं बरसात मिले
इस जीस्ट कि वीरान जंगल में
कोई साया कोई सएबाँ मिले
उस हाथ की टेढ़ी लकीरों में
शायद के लिखा मेरा नाम मिले
जब चाँद हो छुपता बदली में
तू मिले तो ऐसी रात मिले
छन छन के बरसती किरणों की
कोई सुबह कहीं सौग़ात मिले
मुझे दरिया पार तो जाना है
कोई नाँव मिले पतवार मिले
हम खुद को ढूँढते फिरते हैं
अब जब भी मिले बेदाग़ मिले