()
तुम जब नयन नयन से जोडते हो
अनकही बात सुनता हूँ
तुम जब नयन नयन से जोड़ते हो।
टूटती हैं कोमल श्रृंखलाएं
खुलते हैं बंद द्वार,
प्रेम की भीनी सुगंध से
महक उठता है संसार,
पुष्प मिलन के चुनता हूँ
तुम जब नयन नयन से जोड़ते हो।
पाता हूँ स्वयं को
एक नए विश्व मे
जहां-
जाति नहीं,
वर्ण नहीं,
स्पर्श नहीं,
केवल एक ही रंग हो
की तुम मेरे संग हो,
ऐसे विश्व का सपना बुनता हूँ
तुम जब नयन नयन से जोड़ते हो
अनकही बात सुनता हूँ।
तुम जब नयन नयन से जोड़ते हो।