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दुनिया में किसी के भी सामने
झुकना नहीं चाहता है इन्सान ।
लेकिन वक़्त एक ऐसा हथियार है
जिसके सामने झुक जाता ही है इन्सान ।
इन्सान तो वक़्त के हाथ की कटपूतली है
जिसके धागे वक़्त के हाथों में रहते हैं।
जैसे नचाना चाहता है वह इन्सान को
वैसे नाचता रहता है हर इन्सान ।
वक़्त के पहले और वक़्त के बाद भी
बदल नहीं सकती है उसकी जिंदगी ।
यह सच्चाई जानकर भी अपनी जिन्दगी में
क्यूँ तरसता रहता है आखिर इन्सान ।
अगर जिन्दगी में कुछ प्राप्त करना ही है तो
वक़्त के साथ समझौता करना सिखो।
ऐसा कर सकेगा अगर हर कोई इन्सान
तो धरती पर हो जाएगी उसकी अलग ही पहचान ।